Tuesday, November 16, 2010

गरीब घर के लोगो का क्या होगा

जब तक एक दुसरो को आदर की नजरो से नहीं देखो गे तब तक इस देश का विकास संभव नहीं है मे बात कर रहा हु जनप्रतिनिधि एवं प्रसासनिक अधिकारियो की . ये दोनों एक दुश्रे के पूरक है क्योकि बात करे एक कलेक्टर और पार्षद की . एक वार्ड में समस्या है . उसका निदान दोनों की आपसी सामंजस्य से हो सकता है ग्रौंद लेवल पे कम जरुरी है रायपुर मे मछरो की समस्या है . ये महोदय तब समझे गे जब उस बस्ती काकोई  आदमी उनसे जुडा हो ये संभव नहीं है की कलेक्टर से बस्ती का हर आदमी जुडा हो . मे पार्षद का साथ नहीं दे रहारफ  हु लेकिन ये सच है और मे महसूस कर सकता हु  क्योकि मेरा छोटा भाई सनथोसी नगर का पार्षद है . आज महिलओ की ग्रुप आज मेरे ऑफिस मे आकर  मुलाकात किया. उनकी प्रोब्लम जो बस मे थी उनका निवारण एक दो दिन मे हम लोग कर सकते है पर मेरे वार्ड मे मच्छरों की समस्या का निदान सिर्फ फोअगिग मशीन से हो सकता है . पैसे वालो के घर मे तो आल आउट है पर गरीब घर के लोगो का क्या होगा उन १-६ साल के बच्चो का क्या होगा जिन्हें मछरो का मतलब ही नहीं पता है. अभी ब्लॉग लिखते  लिखते ही आक्रमण हो गया. छोटी समस्या को ही धयान देवे ये बड़े अधिकारी और जन्प्रतिन्धी दोनों

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