Friday, November 19, 2010

जवाबदारी मिडिया की सबसे ज्यादा है

जो होरहा है इस छत्तीसगढ़ मै वोशय्द आप कही सोच भी नहीं सकते क्योकि सर कटी लाश बच्चो की मिल रही इस छत्तीसगढ़ मै ये सोचने का विषय हैकि बच्चो के साथ ये सलूक करने वालो को कोई दर नहीं ये इस ज़माने का और ज़माने के लोगो का पर मै तो पोलिसे और सरकारी तंत्र को सलाम करता हु जहा सर कटी लाश ८ दिनों के बाद मालती है और मिडिया मै आता है की तीन दिनों बाद लाश मिली ये खबर मीडिया मै छापते है वो लोगो के चाहने वाले  जो कहते ही नहीं की इन भ्रस्त अधिकारियो मै कोई गज गिरे ताकि हिसाब मिलता ही रहे और सरकार बची रहे और मिडिया सोई रहे. खदान को पाटने के बारे मै कोई नहीं लिखता मुन्नी बदनाम हुई गाना और छत्तीसगढ़ में आये सलमान के बारे मै सब लिखते है कोई ये क्यों नहीं सोचता है की खदान के खुले रहने से पूरा पानी जहर बनरह है मछरो की संख्या बाद रही है और बिमारिय दिन बा दिन बाद रही है मुझे लगता है देख रेख करने की जवाबदारी  मिडिया की सबसे ज्यादा है क्यों की सब बिकते है पर मिडिया छपने के लिए लिए बिकती है न की छापने के लिए मेरा ऐसा सोचना है और जो बिक गई वो मिडिया नहीं .

कौशल तिवारी: पत्रकारों के फायदे, फोटोग्राफरों का दुख

कौशल तिवारी: पत्रकारों के फायदे, फोटोग्राफरों का दुख machhro ke bare mai news mai aata hai ki maleriya par sarkar tej hai par koi ye kyo nahi likta ki nigam ke alava pure mantri gad aur mla raipur mai rahte hai par mla fund se 1 rs bhi nahi de rahe hai aur ganda kar rahe hai pure chhatisgarh ko inhi ke karan raipur mai macchro ki sankhya bad gai hai

Wednesday, November 17, 2010

चलते चलते यू ही

  1. आज सुबह मैंने देखा की छोटे छोटे बच्चे स्कूल जा रहे थे. झोला हाथ मे लिए पाव नंगे और स्कूल का ड्रेस भी बदरंग था. और फिर रस्ते भर गोर से देखने पर मैंने देखा की कुछ कुछ दुरी पर मै धयान देने लगा तो नजारा ही कुछ दूसरा दिखाई देने लगा ५-६ बच्चो के ग्रुप मै मै किसी के पास ड्रेस नहीं किसी के पास जूता नहीं फिर मैंने गाड़ी किनारे  लगा दी और उनके पीछे चलने लगा. बहुत थोड़ी दूर चला तो एक पुराना घर दिखा जिसमे स्कूल का बोर्ड लगा था मै उंदर जाने की सोच ही रहा था की मैंने देखा एक छोटी बच्ची अपनी माँ के साथ रोते हुवे आ रही थी और उसकी माँ उसे कुछ समझा रही थी. के बेटा मन लगा के पड़ना टीचर की बात माननाऔर उसकी बेटी जिद कर रही थी की मै स्कूल दरस मै स्कूल जाउंगी . उसने १ रुपैय का सिक्का दिया और बेटी ने धीरे से रोना बंद करदिया बच्ची स्कूल चली गई और माँ लोटने लगी. मैंने उन्हें रोका और पूछा की क्यों बच्ची के लिए ड्रेस क्यों नहीं लेते आज ६ महीने स्चूल्खुले हो गए है क्यों स्कूल के लोग डाटते नहीं क्या की आपकी बेटीबिना स्कूल  ड्रेस के स्कूल जाती है. उसने बोला बाबु पैसा नहीं बचता जो रोजी मजदूरी कर पैसा कमाती हु उससे घर चलता है मैंने बोला इसके पापा  काम नहीं करते है क्या वोबोली बाबु जो कमते है मजदोरी कर उसका पूरा दारू पि जाते है .और पैसा मागू तो लड़ते है. मैंने कहा सरकार चावल २-३ रूपया  किलो मै दे रही है गरीबी रेखा के नीछे जीवन यापन करने वालो को . उसने कहा बाबु हमलोगों को चावल नहीं मिलता है मिलता उन्ही को है जिनका गरीबी रेखा मै नाम है और नाम उनका है जिनके बड़े बड़े घर है . मैंने कहा पार्षद को बोलो फिर याद आया मेरा छोटा भाई पार्षद है मै तुरंत उसे फ़ोन किया और बोला गरीबी रेखा कार्ड बनवने के लिए क्या करना पड़ेगा वो बोला मै भी इन्तजार कररह हु मैंने कहा क्यों पापा और हम सभी लोगो का पैसा कम होगया क्या की हम लोग गरीब लोगो के हिस्से का आनाज खायेगे. वो मुस्कराते हुवे बोला हमारे वार्ड मै बहुत प्रोब्लम है. तबतक वो समझ भी  गया था की भाई पुच रहे है मतलब कोई उनके आस पास है जिसे वो जानकारी देना चाहते  है आप उनसे बोल दे की जब कभी पता चले पार्षद से मिल लेना आपने वार्ड के . मै ने उसे बता दियामै की  मेरा छोटा भाई पार्षद है वह भी तुम आके मिल लेना और वो वह से चली गई. मैंने छोटे भाई  को फ़ोन मै बोला की वार्ड की गरीबी रेखा की सूचि निकल के रखे मै कुछ देर मै वह आ रहा हु. और फिर मै उस स्कूल के अन्दर दाखिल हुवा. वहा क्लास चल रही थी बच्चे जमीन मै बैठे थे मैडम उनको कुछ याद करवा रही थी. मै प्रिंसिपल की जानकारी मांगी तो मैडम बोली मै ही प्रिंसिपल हु बताये आप कैसे आये है . मैंने तुरंत ही जवाब दिया की मै मंत्री जी के यहाँ से आया हु आप के यहाँ क्या क्या प्रोब्लम है मझे जानकारी देवे . मैडम बोली सर मै पिछले १५ सालों से स्कूल चला रही हु आज तक प्रोब्लम दूर नहीं हुई तो आप क्या कमाल करदेगे मैंने कहा मैडम मेरा कम प्रोब्लम की जानकारी लेना है प्रोब्लम तो दूर मंत्री जी और अधिकारी करेंगे. मैडम ने कहा मेरे पास १५ सालों की सूचि है प्रोब्लम जो का वो ही है मैंने तुरन ही पुच लिया की स्कूल के बच्चो के पास ड्रेस नहीं है क्या.  आधे से ज्यादा बच्चे स्कूल ड्रेस मै नहीं आये है . वो मैडम बोली सभी गरीब बस्ती के बच्चे है ..........................................................................................क्रमशः                    चलते चलते  यू ही

सोचते होगे के याद आते

सोचते होगे के
याद आते हो मुझे तुम
गलत हो तुम
हमेशा की तरह


मैं उनमें से नहीं
के यादों की गठरी
साथ बाँध  टहलू.



गुज़रे को भूल
वर्तमान को जीती हूई
भविष्य का निर्माण
आदत है मेरी.  



कल एक कॉमन फ्रेंड
से मुलाकात हुई
उसके साथ मिल
तुम्हारी बुराई में
पूरा दिन गुज़ारा. 



शब् तक झगड़ पड़ी उससे
तुम्हारी  बुराई में ....
मुझसे ज्यादा पार्टीसिपेट किया उसने.
मुझसे ज्यादा कोई बुरा कहे तुम्हे .....
ये बर्दाश्त नहीं मुझे.



भले ही तुमने ना दिया हो
भले ही मैंने ना लिया हो
" हक"
कुछ कहने- सुनने का.



अब कोई खुशफहमी मत पलना
यहीं
कि तुम मुझे याद आते हो.



इतना तो याद ही होगा
कि एक्सपायरी डेट की दवा
नहीं रखती मैं मेडिकल बॉक्स में.



जैसे मुझे याद हैं -
टेलकम पावडर
डाल -डाल कर तुम्हारा
जुराबे पहनना



सुधरे तो होंगे नहीं तुम
याद बिल्कुल नहीं आते मुझे तुम.


प्रियाजी ने लिखा शायद मेरे जैसे और लोगो के लिए


Tuesday, November 16, 2010

गरीब घर के लोगो का क्या होगा

जब तक एक दुसरो को आदर की नजरो से नहीं देखो गे तब तक इस देश का विकास संभव नहीं है मे बात कर रहा हु जनप्रतिनिधि एवं प्रसासनिक अधिकारियो की . ये दोनों एक दुश्रे के पूरक है क्योकि बात करे एक कलेक्टर और पार्षद की . एक वार्ड में समस्या है . उसका निदान दोनों की आपसी सामंजस्य से हो सकता है ग्रौंद लेवल पे कम जरुरी है रायपुर मे मछरो की समस्या है . ये महोदय तब समझे गे जब उस बस्ती काकोई  आदमी उनसे जुडा हो ये संभव नहीं है की कलेक्टर से बस्ती का हर आदमी जुडा हो . मे पार्षद का साथ नहीं दे रहारफ  हु लेकिन ये सच है और मे महसूस कर सकता हु  क्योकि मेरा छोटा भाई सनथोसी नगर का पार्षद है . आज महिलओ की ग्रुप आज मेरे ऑफिस मे आकर  मुलाकात किया. उनकी प्रोब्लम जो बस मे थी उनका निवारण एक दो दिन मे हम लोग कर सकते है पर मेरे वार्ड मे मच्छरों की समस्या का निदान सिर्फ फोअगिग मशीन से हो सकता है . पैसे वालो के घर मे तो आल आउट है पर गरीब घर के लोगो का क्या होगा उन १-६ साल के बच्चो का क्या होगा जिन्हें मछरो का मतलब ही नहीं पता है. अभी ब्लॉग लिखते  लिखते ही आक्रमण हो गया. छोटी समस्या को ही धयान देवे ये बड़े अधिकारी और जन्प्रतिन्धी दोनों

नई दुनिया है .

ब्लॉग जगत से मेरा नाता जोड़ने के लिए भाई ललित जी का साधुवाद ये एक अदभूत दुनिया है  यहाँ बहुत अच्छे लोग है जो बिना ये सोचे ज्ञान देते है की कोई छोटा है या बड़ा है आप सभी लोगो को साहेब बंदगी साहेब . ये वाकई नई दुनिया है .

Sunday, November 14, 2010

एक इश्वरीशक्ति ने माध्यम बनाया आमिर खान को

समाज की जवाब दारी का मतलब लोग ये सोचते है की आपस मे मिलना अपने रिश्तो दरो से . चंदा की राशी देना. जिन दिन सामाजिक कार्यक्रम हो उसदिन सज सवर के आ जाना.कार्यक्रम मे आपनी प्रतिक्रिया दे देना बस समाज का कम ख़तम. ये उनलोगों के ठीक है जिनका समाज देव्लोप है लेकिन उस समाज का क्या होगा जिसका कोई माँ बाप नहीं है पहले काम था कपडा बनाने का वो भी सिर्फ ईस लिए बंद हो गया की दुनिया मे मोटे कपड़ो का चलन कम होगया . और पतला कपडा इस लिए नहीं बनाये की रेशम के कीड़े को ये समाज मरता हुवा नहीं देख सकता था . उसने किसी को मार के आपनी जीविका चलने से ठीक समझा की ये कपडा बनाने का कम कम करदिया जय और नए कम की तलाश की जाये और उस नए कम की तलाश मे आज तक भटक रहा है पनिका[मानिकपुरी, महंत] समाज. और नियति के मार देखो सेवा के छेत्र मे आगे रहने वाला , उस पुरे गाव को सुचना देने वाला गाव की राकह्वाली करने वाला बड़े बड़े सहबो से लोगो की बातो को सामने रखने वाला आज आपने लिए ही मजबूर हो गया है आज बहुत दयनीय दशा हो गई है इस छत्तीसगढ़ मे मे सबसे पीछे हो गए हम लोग . ............................क्या विकास की बात करने वालो के पास हमारी जिंदगियो का हिसाब  है क्या हिसाब है उन नंगे पैरो का जिनके पास खाने के लिए दो वक़्त की रोटी का जुगाड़ कहा से होता होगा क्या सरकार को ये सोचने वाले लोग नहीं मिलते क्या इंसानियत मर चुकी है इस छत्तीसगढ़ मे . जनप्रतिनिधि चुन के जनता के बिच से आते है क्या उनकी कोई जव्ब्दारी नहीं क्या ये नौकर शाही लोगो ने  सिर्फ योजना बनाने का ही ठेका ले लिया है ..आमिर खान  के द्वारा बनी फिल्म पिपली लाइव कोई फ़िल्मी किरदार नहीं था नत्था दस मानिकपुरी का बल्कि एक जीती जगती सच्ची जुबानी थी हमारे समाज की और एक इश्वरी शक्ति ने माध्यम  बनाया  आमिर खान को              

Friday, November 12, 2010

गरीबो के लिए सरकारी योजना सिर्फ पिपली लाइव

Wednesday, November 10, 2010

Monday, November 8, 2010

कमल विहार की हकीकत सामने आई

रायपुर में कमल विहार के मतभेद को मंत्रियो की सभा में आज मुख्यमंत्री जी को बीच बचाव में आना पड़ा१ ख़ाश् आप पहले जाग गए होते तो शायद बात कुछ और HOTI1 रायपुर के विकास का मतलब ये नहीं है की बड़े लोगो के लिए बड़ी कालोनी बना दे  बल्कि जयादा जरुरी है विकास की गंगा का पानी एक आम गरीब परिवार को मिले ना की वो बूंद बूंद को तरसे कमल विहार सिर्फ कुछ चंद लोगो को कमीशन खोरी करने का धंदा है किसानो को लूटने का एक तरीका है आम आदमी ने पूंजी जमा कर प्लाट ख़रीदा आप का कोई हक़ नहीं बनता की उसका पूरा प्लाट लेकर उसे सिर्फ ३५% प्लाट दो वो भी पता नहीं उसे कब मिले गा1BHUMAFIYO पर सिकंजा कसने का ये तरीका ठीक नहीं कमल विहार की पूरी योजना बेकार है 1

गाँधी जी को याद कर ओबामा ने दिल जीता हिन्दुस्तानी लोगो का

आज समाचार में ओबामा के बारे में खबर हर अख़बार के पहले पेज पर सुर्खियों में है  पर आज ओबामा ने गाँधी जी के बारे में जो कहा वो मेरे ही नहीं पर पुरे हिंदुस्तनियो के लिए गर्व की बात है१ मेरा ऐसा सोचना है1